ज्योतिष शास्त्र की अंगभूत विद्याएं

ज्योतिष शास्त्र की अंगभूत विद्याएं 

पुराने जमाने से ही मानव स्वंय के भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में जानने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहा है। उसने अलग-अलग विद्याओं से भविष्य के बारे में जानने की खोज की और अनेक ग्रंथों की सहायता या मदद भी ली तिष शास्त्र कीी अंग भूत विद्यालय हैं जो निम्नानुसार हैं


1.अंकशास्त्र:- अंको के बिना ज्योतिष शास्त्र कुछ काम का नहीं होता है।मूलांक का ज्ञान करना भी अंकशास्त्र विद्या में आता हैै, अपनी जन्म, तिथि महीना और सन्  को जोड़कर जो संख्या प्राप्त होती हैं उसका एक अंक बनाकर जो अंक मिलता हैै वह हमारा मूलांक होता है।इस प्रकार भविष्य का ज्ञान मूलांक के द्वारा ज्ञान कर सकते हैं। शुभ मूलांक में  जन्मे व्यक्ति का भविष्य उज्जवल रहेगा। हजारों की संख्याएं जोड़कर 1 से 9 अंक तक कोई सा भी मूलांक बनाया जा सकता है।  ग्रहों के मूलांक इस प्रकार हैं- 


सूर्य(1),चंद्रमा(2),गुरु(3),केतु(4),बुध(5),शुक्र(6),राहु(7),शनि(8),व मंगल(9)।


2.शुभ-शकुन :- अच्छा शकुन होने पर काम करने पर वह काम शुभ एवं सफल होता है। अशुभ शकुन् होने पर कार्य में विघ्न आकर कार्य में सफलता नहीं मिलती हैं, जैसे काम करते समय छींक का आना, बाई आंख का फड़फड़ाना, कुत्ते या बिल्ली का रोना, बिल्ली के द्वारा रास्ता काटना, घर से निकलते समय खाली घड़ा दिखाई देना या बुरे सपने दिखाई देना आदि अपशकुन पुराने जमाने के साथ जुड़े हुई हैं। इसी प्रकार अच्छे शकुनों में घड़ा का भरा दिखाई देना,कार्य को शुरू करते समय नारियल का फोड़ना, घर से निकलते समय नीलकंठ पक्षी का दिखाई देना, मुर्गे की बांग सुनना, पुरुषों का दायां स्वर का चलना आदि भी मान्यताएं हमारी पुरानी संस्कृति से जुड़ी हुई हैं।


3.स्वर के द्वारा विचार :- यह विद्या पुरानी समय से चली आ रही है और सामरिक फलों के अनुसार काम करती हैं। नाक में तीन नाड़ियां-इंडा, पिंगला और सुषुम्ना हैं। इंडा बाई नाक का स्वर,पिंगला दाई नाक का स्वर और सुषुम्ना दोनों के बीच में। काम को करते समय बाई नाक का इंडा स्वर अच्छा व शुभ माना जाता हैं। काम को करते समय दाई नाक का पिंगला स्वर खराब व अशुभ माना जाता हैं। काम को करते समय दोनों स्वर चलने पर सुषुम्ना खराब व बुरा फल देते है। 


4.अंग और उपांग :- औरत व आदमी के शरीर के अंग और उपांगों में विशेष रूप से चेहरा, माथा,आंख,नाक,कान,गर्दन, कंधे,भुजाएँ, वक्ष,कमर,पैर आदि के आधार पर व्यक्ति के चारित्रिक और स्वभाविक लक्षणों का अध्ययन किया जाता हैं।लोम्रबोसो अपराध के अध्ययन में करते हैं धंसा माथा,उभरी गाल की हड्डियां और चौड़े जबड़े वाला व्यक्ति हिंसा करने वाला हो सकता है।ज्योतिष में माथे के आकार और रेखाओं के अध्ययन से भविष्य बताने का प्रचलन है।


5.वास्तुशास्त्र :- वास्तु से भी शुभ-अशुभ का फलकथन करते है। खराब भूमि पर घर को बनने पर या दूसरे काम भूमिपति के भविष्य सम्बन्धी सभी कामों पर खराब फल देते है। वास्तु शास्त्र के आधार पर विभिन्न कक्षों को बनाकर मकान में रहने पर व्यक्ति को शारिरिक एवं मानसिक रूप सुखी रहते हैं।


6.समय और देश :- आदमी और औरतों पर देश और काल(समय) का अच्छा व बुरा प्रभाव पड़ता हैं। सभी स्थान और समय व्यक्ति के लिए ठीक नहीं रहता है। ठीक देशकाल जहां व्यक्ति के जीवन से सम्बन्धी सभी आवश्यकताओं को पूरा करता हैं, वहीं खराब देश काल मे रहने से व्यक्ति को रोजगार के साधन, जलवायु एवं मिट्टी के खराब रहने से व्यक्ति दुःख में रहता है। बाढ़, अकाल,भूकम्प ग्रस्त तथा बेकार भूमि अच्छी नहीं होती हैं 


7.चिन्ह ज्ञान :- आदमी एवं औरतों के शरीर पर कई-कई प्रकार के निशान होते हैं, इन निशानों को देखकर भविष्य का फलादेश करते हैं जैसे मस्तक रेखाएं, शरीर पर काले, लाल, भूरे, सफेद तिल, मस्से, लहसुन के निशान, हथेली पर पर्वतों की स्थिति, शंख, चक्र, यव, क्रॉस, त्रिशूल, वर्ग एवं बिंदु भविष्य को बताने में सहायक होते हैं।


8.हस्तरेखा :- आदमी और औरतों के दोनों हाथों पर बनी रेखाओं और चिन्हों के द्वारा भूत, भविष्य और वर्तमान का फलकथन करने में सबसे अधिक प्रचलित शास्त्र हैं। पाश्चात्य हस्तरेखा विशेषज्ञ कीरो को आज भी लोग मानते और मान्यता देते हैं। कोई भी आदमी या औरतों की हाथों की रेखाएं एक दूसरे से मेल अर्थात समान नहीं होती है इसलिए हस्ताक्षर के स्थान पर अंगूठा लगाकर व्यक्ति को पहचानने का चलन है।


9.तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र :- ज्योतिष में तन्त्र-मन्त्र और यंत्रो का बहुत ही महत्व है। आने वाली मुसीबतों को दूर करने में इनका सहारा लिया जाता है।तन्त्र-मन्त्र और यन्त्र द्वारा भाग्य को बदला जा सकता है। 


तन्त्र :- जिस क्रिया करने से देवी-देवता खुश होते है, उसे तन्त्र कहते हैं।


मन्त्र :- जिस क्रिया में देवी-देवता को खुश करने के लिये जाप किये जाते है, उसे मन्त्र कहते हैं।


यन्त्र :- ताबीज होते है, जिन्हें सिद्ध करके पहनने से मुसीबतों का निवारण होता है, उसे यन्त्र कहते हैं।


प्रत्येक कार्य की मुसीबतों को दूर करने काम को पूरा करने के लिए हजारों मंत्र, तंत्र और यंत्र हैं।


10.आयुर्वेद :- मुहूर्त देखकर बीमार को देखना, औषधि को बनाना और बीमार को समय पर औषिधि देने का शास्त्र आयुर्वेद हैं। शुभ मुहूर्त में औषिधि को बनाना और शुभ मुहूर्त में औषधि को देने से बीमार व्यक्ति जल्दी ठीक होता है।


टैरो कार्ड और लाल किताब द्वारा व्यक्तियों के भविष्य को जानने का भी अब प्रचलन बढ़ रहा है।


इसके अलावा व्यक्ति के हस्ताक्षर और लेख द्वारा  उसके व्यवहार और चरित्र को जानने की विद्या का विकास हुआ है।