ज्योतिष शास्त्र में राहु और भावों पर प्रभाव

* राहु :-

हिन्दू ज्योतिष के अनुसार राहु उस असुर का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य या चंद्रमा का ग्रहण करता है। इसे कलात्मक रूप में बिना धड़ वाले सर्प के रूप में दिखाया जाता है, जो रथ पर आरूढ़ है और रथ आठ श्याम वर्णी घोड़ों द्वारा खींचा जा रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है। दिन में राहुकाल नामक मुहूर्त (२४ मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है। समुद्र मंथन के समय राहु नामक एक असुर ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और मोहिनी अवतार में भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया। इससे उसका सिर अमर हो गया। यही राहु ग्रह बना और सूर्य चंद्रमा से इसी कारण द्वेष रखता है। इसी द्वेष के चलते वह सूर्य और चंद्र को ग्रहण करने का प्रयास करता है। ग्रहण करने के पश्चात सूर्य या चंद्र उसके कटे गले से निकल आते हैं और मुक्त हो जाते हैं।

* राहु की स्थिति :-

राहु पौराणिक संदर्भों से धोखेबाजों, सुखार्थियों, विदेशी भूमि में संपदा विक्रेताओं, ड्रग विक्रेताओं, विष व्यापारियों, निष्ठाहीन और अनैतिक कृत्यों, आदि का प्रतीक रहा है। यह अधार्मिक व्यक्ति, निर्वासित, कठोर भाषणकर्त्ताओं, झूठी बातें करने वाले, मलिन लोगों का द्योतक भी रहा है। इसके द्वारा पेट में अल्सर, हड्डियों और स्थानांतरगमन की समस्याएं आती हैं। राहु व्यक्ति के शक्तिवर्धन, शत्रुओं को मित्र बनाने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक रहता है। बौद्ध धर्म के अनुसार राहु क्रोधदेवताएं में से एक है।

विभिन्न राशियों में स्थित राहु ग्रह का फल :- राहु के द्वादश राशियों में फल शास्त्रों में निम्नानुसार बताए गए हैं

मेष राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु मेष राशि में स्थित हो,तो जातक साहसहीन,आलसी एवं अनैतिक चरित्र वाला होता है।

वृषभ राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु वृषभ राशि में स्थित हो,तो जातक सुखी,कुरूप,आवेशपूर्ण स्वभाव वाला और धनवान होता हैं।

मिथुन राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु मिथुन राशि में स्थित हो,तो जातक गाने वाला,साधु,साहसी और दीर्घायु होता हैं।

कर्क राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु कर्क राशि में स्थिततो जातक उदार,रोगी, चतुर,धोखेबाज और अनेक शत्रुओं वाला होता हैं।

सिंह राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु सिंह राशि में स्थित हो,तो जातक चतुर,नीति-में दक्षवान,सज्जन और विचारक होता हैं। 

कन्या राशि :- जन्म कुंडली में राहु कन्या राशि में स्थित हो,तो जातक लोकप्रिय, नम्रभाषी,कवि,लेखक, गाने वाला और धनवान होता हैं।

तुला राशि :- यह दिन जन्म कुंडली में राहु तुला राशि में स्थित हो,तो जातक अल्पायु,दाँतो के रोग वाला एवं विरासत में धन पाने वाला होता हैं।

वृश्चिक राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु वृश्चिक राशि में स्थित हो,तो जातकधोखेबाज, अनैतिक चरित्र, रोगी एवं अधिक खर्च करने वाला होता हैं।

धनु राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु धनु राशि में स्थित हो,तो जातक प्रारम्भिक जीवन में सुखी,बचपन में गोद लिया जाने वाला एवं बुरा मित्र होता हैं।

मकर राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु मकर राशि में स्थित हो,तो जातक कम खर्च करने वाला, कुटुम्बहिन्,दाँत का रोगी,विद्वान, लेखक और कम बोलने वाला होता हैं।

कुम्भ राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु कुंभ राशि में स्थित हो,तो जातक कम खर्च करने वाला, कुटुम्बहिन्,दाँत का रोगी,विद्वान, लेखक और कम बोलने वाला होता हैं

मीन राशि :- यदि जन्म कुंडली में राहु मीन राशि में स्थित हो,तो जातक आस्तिक, कुलीन,शांत,कलाप्रिय और दक्ष होता हैं।  

१. प्रथम भाव में स्थित राहु का फल :-

इस भाव में स्थित राहू के मिश्रित फल कहे गए हैं। आप परोपकारी और धैर्यवान व्यक्ति हैं। यहां स्थित राहू आपके कद को ऊंचा बनाता है। आपका शरीर कभी रोगी तो कभी निरोगी रहता है। आपको धन की कमी नहीं रहेगी। कहीं न कहीं से किसी न किसी माध्यम से आपको धन की प्राप्ति होती रहेगी। आप दूसरे के धन अपने लिए प्रयोग करेंगे साथ ही उसी धन से दूसरों को भी लाभ पहुंचाना चाहेंगे।

आप अपने जीवन काल में विभिन्न भोगों का उपभोग करेंगे। आपका वेष लोगों में प्रभावशाली रहेगा। आप बडों से विनम्र व्यवहार करते हैं। आप छोटे स्तर में पैदा होकर भी बडा स्तर प्राप्त कर पाएंगे और लोगों की नजरों में श्रेष्ठता प्राप्त करेंगे। आप साहसिक कार्य करने में दक्ष हैं लेकिन हो सकता है कि शिक्षा में आपका ध्यान कम हो। फिर भी आप व्यवहारिक कामों में निपुण होंगे और दूसरों से अपना काम करवाने में समर्थ होंगे।

आप अपने वादे को पूरा करने में विश्वास रखते हैं। आप बुद्धिमान और व्यवहार कुशल व्यक्ति हैं लेकिन यहां स्थित राहू के कुछ अशुभ परिणाम भी कहे गए हैं अत: आपमें बेवजह शक करने की आदत हो सकती है। अच्छे को बुरा और बुरे को अच्छा समझने का भ्रम रह सकता है। आप चाहेंगे कि हर व्यक्ति आपके निर्देशानुसार आचरण करे। इसकारण आप लोगों की नजरों से गिर सकते हैं।

२. द्वितीय भाव में स्थित राहु का फल :-

इस भाव में स्थित राहू आपको शुभ और अशुभ दोनो तरह के फल देगा। आपके ठोडी पर कोई निशान हो सकता है। आप की नाक अपेक्षाकृत बडी होनी चाहिए। लोग आप पर विश्वास करेंगे भले ही आप उनके विश्वास पर खरे न उतर पाएं हांलाकि कि आप बहुत हद तक व्यवहार कुशल होंगे। यह स्थिति आपको धनवान बनाने की संकेतक है। राजा या सरकार के माध्यम से आपको धन की प्राप्ति होगी।

आप सुखी रहेंगे। आप अपने जीवनकाल में गौरव और आदर प्राप्त करेंगे। आपको विदेश से भी धन मिलेगा। कहा गया कि यहां का राहू विदेश में धनार्जन करने में सहायता करता है। आप अपने शत्रुओं का विनाश करने में समर्थ होंगे। आपको देश-विदेश में घूमने का खूब शौक होगा। लेकिन आपके कामों अक्सर रुकावटें आ सकती हैं।

संतान कम संख्या में होती हैं। यहां स्थित राहू आपके कामों में स्थिरता लाने में व्यवधान उत्पन्न करता है। आप झूठ बोलने में अधिक विश्वास कर सकते हैं। व्यर्थ बोलने की आदत हो सकती है। वाणी में किसी प्रकार का दोष हो सकता है। किसी अखाद्य य अपेय का सेवन कर सकते हैं। पैतृक सम्पदा का विनाश कर सकते हैं। पैसों का दुरुपयोग कर सकते हैं। कुपात्रों पर धन खर्च कर सकते हैं।

३. तृ्तीय भाव में स्थित राहु का फल :-

यहां स्थित राहू को अरिष्टनाशक और दु:खनाशक माना गया है। इसलिए आप निरोगी और बलवान होंगे। आपमें बाहुबल खूब होगा। आप पराक्रमी और साहसी होंगे। आप उद्योगी, प्रतापी, दृढविवेकी और खूब यात्राएं करने वाले होंगे। आप विद्वान के साथ-साथ भाग्यवान भी हैं। आप तीव्र बुद्धि लेकिन चंचल स्वभाव के हैं।

आपकी कीर्ति दूर-दूर तक फैलेगी। आप यशस्वी, प्रतिष्ठित और दान, पुण्य पर विश्वास करने वाले व्यक्ति हैं। आप सभी के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहते हैं। आप सभी सभी का आदर करते हैं। आप जानबूझ कर किसी के साथ भेद-भाव नहीं करते। आपका जो भी बर्ताव होता है, शुद्ध अंत:करण से होता है।

भाग्योदय द्वारा आपको सहज ही लाभ मिलने लगता है, आपको अधिक प्रयत्न करने की आवश्यकता नहीं होती। आपके पास नौकर-चाकर, वाहन आदि सभी प्रकार की विलासिता की चीजें होती हैं। लेकिन यहां स्थित राहू के नकारात्मक प्रभाव के कारण आप अभिमानी हो सकते हैं। आप शंकालु और आलसी भी हो सकते हैं। आपको भाइयों का विरोध करने से बचना होगा।

४. चतुर्थ भाव में स्थित राहु का फल :-

यहां स्थित राहू आपको साहसी बनाता है और राजसत्ता से माध्यम से सुख दिला सकता है अथवा राजा का प्रेम पात्र बना सकता है। किसी प्राशासनिक व्यक्ति के द्वारा आपका हित साधन हो सकता है। आपको माता से सुख मिलेगा। आपके चित्त में स्थिरता रहेगी। आपके पास विभिन्न प्रकार के वस्त्र और आभूषण होंगे।

आपको अपनी जन्मभूमि में रहने के अवसर कम ही मिलेंगे। आप प्रवासी होंगे या विदेश में रहेंगे। आपको घूमना-फिरना बहुत पसंद होगा। बडी उन्नति की राह में यहां स्थित राहू रुकावटे उत्पन्न करता है लेकिन नौकरी के मामले में राहू राहत देता है। साझेदारी के मामलों में भी यहां स्थित राहू अच्छे परिणाम देता है।

राहू की यह स्थिति कभी-कभी दो विवाह अथवा दो लोगों से आंतरिक लगाव को दर्शाता है। आपका जीवन साथी आपके विपरीत समय में आपका पूरा सहयोग करेगा। पुत्रों की संख्या कम होती है। उम्र के छत्तीसवें वर्ष से लेकर छप्पनवें वर्ष तक भाग्य अपेक्षाकृत अधिक साथ देता है। लेकिन अशुभ प्रभावी राहू आपको मानसिक अशांति देता है। अपने पास सारे सुख के साधन उपलब्ध हो तो भी मन दुखी रह सकता है।

५. पंचम भाव में स्थित राहु का फल :-

यहां स्थित राहू आपको तीक्ष्णबुद्धि बनाता है। आपको विभिन्न शास्त्रों का ज्ञान होगा। आप स्वभाव से दयालु, कर्मठ हैं साथ ही आप भाग्यवान भी है। पुत्र प्राप्ति में कुछ व्यवधान आ सकता है। हो सकता है कि पहली संतान के रूप में कन्या संतति की प्राप्ति हो। आप कम्पनी के व्यवसाय में सफल हो सकते हैं।

आप लेखनकला में कुशल हो सकते हैं साथ ही आप प्रसिद्धि प्राप्त करेंगे। कई मामलों में यहां स्थित राहू बुरे परिणाम भी देता है। अशुभता की स्थिति में राहू दिमाग को भ्रमित करता है। संतान को कष्ट या परेशानी होती है। यहां स्थित राहू व्यर्थ में व्यय कराकर निर्धनता की स्थिति उपन्न करता है। आपके शरीर का रंग कम अच्छा हो सकता है।

यह स्थिति आपको कभी-कभी गलत रास्ते पर चलने की प्रेरणा दे सकती है। आपके मन में चिंता और संताप की स्थिति निर्मित हो सकती है। आपकी रुचि विद्या प्राप्त करने में कम रह सकती है। आपको उदररोग अर्थात पेट से सम्बंधित परेशानियां रह सकती हैं। पेट में शूल, गैस आदि रोग और मंदाग्नि रोग हो सकता है। बहुत प्रयास करने पर ही धन संग्रह हो पाता

६. छ्टें भाव में स्थित राहु का फल :-

यहां स्थित राहू अनिष्ट का निवारण करता है अर्थात आपके जीवन के अरिष्ट दूर करता है। आपके जीवन के कष्ट नष्ट होते हैं। आप परक्रमी और शक्ति सम्पन्न होंगे। आप उदारहृदय और धैर्यवान हैं। आप स्थिरचित्त और बुद्धिमान हैं। आप साहसिक और बडे-बडे कामों को अंजाम देने वाले हैं। आप शारीरिक रूप से निरोगी होंगे और दीर्घायु होंगे।

आप शत्रुओं का नाश करने वाले और शत्रुओं को पराजित करने वाले हैं। आप प्रसिद्ध और राज जैसी मान्यता को प्राप्त कर सकते हैं। आप पर सरकार की कृपा रहेगी। दूसरे धर्म के लोगों के द्वारा आपको लाभ मिलेगा और धन प्राप्ति भी होगी। म्लेच्छ जाति के राजा से आपको धन लाभ होगा। आप एक अमीर व्यक्ति हो सकते हैं।

आप वस्त्र, वाहन और आभूषणों से युक्त होंगे। आप भाग्यशाली हैं और आपके पास खूब धन होगा। आपका जीवन साथी अच्छा होगा। लेकिन राहू के दुष्प्रभाव स्वरूप आपकी संगति खराब रह सकती है। आपकी नौकरी में अस्थिरता रह सकती है। ऊपरी बाधाएं या कोई रहस्यमयी बीमारी हो सकती है। मामा, मौसी या चाचा पक्ष से कम सुख रहेगा। है। जीवन साथी के पक्ष से भी कष्ट मिल सकता है।

७. सप्तम भाव में स्थित राहु का फल :-

यहां स्थित राहू के अधिकांशत: अशुभफल ही बताए गए हैं। लेकिन कुछ शुभफल भी मिलते हैं अत: आप किसी की आधीनता स्वीकार न करके स्वतंत्र रहना चाहेंगे। आपका कार्य कौशल चतुराई से परिपूर्ण रहेगा। आपको घूमने फिरने में बडा आनंद आएगा। आपका विवाह अपेक्षाकृत जल्दी हो सकता है अथवा बहुत देर से होगा। आपका जीवनसाथी अच्छा होगा। आपके और आपके जीवनसाथी के मध्य अच्छा प्रेम रहेगा।

आपकी नौकरी ठीक ठाक चलती है। शुभप्रभाव रहने पर आपका व्यवसाय भी ठीक चलेगा। लेकिन राहू के अशुभफलों के कारण आपका कद नाटा हो सकता है। आप अच्छा काम भी करेंगे तो भी बुराई ही आपके हिस्से में आएगी। आप स्वभाव से क्रोधी और दूसरों से झगडा करने वाले हो सकते हैं। आप कुछ हद तक घमंडी या असंतुष्ट हो सकते हैं। आपका स्वभाव कुछ हद तक उग्र हो सकता है।

आपकी संगति और संबंध खराब व्यक्तियों से हो सकते हैं। दुष्ट व्यक्तियों की संगति में पडकर आप अच्छे व्यक्तियों को कष्ट पहुंचा सकते हैं। आपको लालच और बेकार में घूमने फिरने से बचना चाहिए। जहां तक सम्भव हो धार्मिक बने रहें। जीवनसाथी मन के अनुरूप न मिलने पर आपस में कलह हो सकती है या जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब रह सकता है। कुल मिलाकर दाम्पत्य जीवन में कष्ट रह सकता है।

८. अष्टम भाव में स्थित राहु का फल :-

राहू के इस भाव में स्थित होने के कारण आप शरीर से मजबूत होंगे। आपको अपने जन्म स्थान में रहने का समय कम मिलेगा अर्थात आप अधिकांश समय विदेश में रह सकते हैं। आप राजाओ, सरकारी प्रतिनिधियों और पंडितों के आदरणीय होंगे। आप लोगों में माननीय और प्रशंसित होंगे। आप श्रेष्ठ कर्मों को करने वाले व्यक्ति हैं। आपका भाग्योदय छब्बीस से छत्तीस वर्ष के बीच होगा।

राज्यपक्ष से आपको प्रचुर मात्रा में धन की प्राप्ति भी हो सकती है लेकिन कभी-कभी बेकार में धन बर्बाद भी हो जाता है। हांलाकि आप धनवान होंगे। आपके पुत्र संतति की संख्या कम होगी। आपका बुढापा बहुत सुखी रहेगा। यदि आपकी रुचि गाय पालने में होगी तो आपके पास पशुधन पर्याप्त मात्रा में होगा। आपको अपने जीवन से जुडी कई बातों का पूर्वानुमान हो जाएगा।

लेकिन यहां स्थित राहू कई प्रकार केक अशुभफल भी देता है। जिसके कारण आप कुछ हद तक भीरु और आलसी भी हो सकते हैं। आप स्वभाव से जल्दबाज और वाचाल हो सकते हैं। आप कुछ ऐसे कामों में भी लग सकते हैं जो धार्मिक या सामाजिक दृष्टिकोण से बहुत अच्छे न माने गए हों। आपको पैत्रिक धन से वंचित रहना पड सकता है। आपको भाई-बंधुओं से कष्ट मिल सकता है। आपके खर्चे अधिक होने के कारण आपको धन संचय में परेशानी रह सकती है।

९. नवम भाव में स्थित राहु का फल :-

यहां स्थित राहू आपको परिश्रमी और ईश्वर पर श्रद्धा रखने वाला बनाता है। आप कृपालु, परिवार को स्नेह करने वाले और गुणवान व्यक्ति हैं। आप तीर्थाटन करने वाले धर्मात्मा और दयालु स्वभाव के हैं। आप सभ्य और सहृदय हैं। आपको यात्राएं करना बहुत पसंद है। आप विद्वान होंगे और अपने गुणों के कारण ही लोगों में पूज्यनीय होंगे। आप लोगों में माननीय और आदरणीय भी होंगे।

आप अपनी चतुरता के कारण भरी सभा में लोगों को चमत्कृत कर सकते हैं। देवताओं और तीर्थों के प्रति आपमें श्रद्धा विश्वास और भक्ति है। आप धन का दान करने वाले और पुण्य कमाने वाले व्यक्ति हैं। यदि किसी ने आप पर कोई उपकार किया है तो आप उसे भूलेंगे नहीं। आप अपने बडे बुजुर्गों के बताए रास्ते पर चलना चाहेंगे और उसी के माध्यम से आप अपनी कीर्ति को निर्मल बनाए रखेंगे।

आपको अपने काम को अधूरा छोडना पसंद नहीं है। आप सुधारवादी विचार वाले, उन्नति आत्मशक्ति वाले और जगत के कल्याण के लिए प्रयत्नशील व्यक्ति हैं। यहां स्थित राहू अशुभ प्रभावी होने पर पापाचार की ओर उन्मुख करता है और धर्म पर श्रद्धा कम कराने की कोशिश करता है अत: ऐसी स्थिति में स्वयं का बचाव करें और ढोंगी न बनें। हमेशा अच्छे वस्त्र धारण करें और अपने भाइयों और मित्रों से अच्छे संबंध बनाए रखें।

१०. दशम भाव में स्थित राहु का फल :-

यहां स्थित राहू आपको बलवान और निडर बनाता है। आप बुद्धिमान, परोपकारी और कुछ हद तक चिंतायुक्त हो सकते हैं। यदि आप गर्वीले स्वभाव के हैं तो भी यहां स्थित राहू धीरे-धीरे आपके भीतर स्थित घमंड को धीरे-धीरे दूर करवाता है। आपकी रुचि काव्य और कविताओं में होगी। आप एक अच्छे लेखक या सम्पादक भी हो सकते हैं।

आप अपने पूरे जीवनकाल में सफलता, सम्मान, कीर्ति और श्रेष्ठता प्राप्त करते रहेंगे। आप लोक समूह, गांव या नगर के अधिकारी हो सकते हैं। यहां स्थित राहू आपको मंत्री या सेनापति भी बना सकता है। यहां स्थित राहू आपको गंगा स्नान का लाभ देता है। आप यज्ञ कार्य भी करते हैं। आप अपने शत्रुओं का नाश करने वाले व्यक्ति हैं अत: के शत्रु बहुत कम मात्रा में होंगे।

आपके पुत्र संतति कम संख्या में हो सकती है। आप व्यापार में निपुण और यात्राएं करते रहने वाले व्यक्ति हैं। आपको अदालती कामों में विजय मिलेगी। लेकिन यहां स्थित राहू पूर्व अवस्था में कष्ट देता है अत: पूर्व अवस्था में कष्ट भोगकर आप प्रगति करेंगे। आपको आलसी और उत्साहहीन बनने से बचना चाहिए। अपने कामों को नियमित रूप से करना चाहिए। व्यर्थ के घमंड और नशे से बचना चाहिए।

११. एकादश भाव में स्थित राहु का फल :-

यहां स्थित राहू आपके जीवन के अरिष्टों को कम करता है। आप शारीरिक रूप से पुष्ट होंगे और दीर्घायु होंगे। आप परिश्रमी, विलासी और कवि हृदय भी हो सकते हैं। आप धनवान और विभिन्न भोगों को भोगने वाले होंगे। यदि आप चाहें तो अपनी इन्द्रियों को वश में कर सकते हैं। आप देखने में आकर्षक मितभाषी और शास्त्रों के ज्ञाता होंगे।

आप विद्वान, स्वभाव से विनोदी और चंचल होंगे। आप जिस समाज में रहेंगे, उस समाज के अग्रणी होंगे। आप बडे स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे। आप एक यशस्वी व्यक्ति होंगे। आपकी मित्रता चतुर व्यक्तियों के साथ होगी। आप अपने जीवनकाल में अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त करेंगे। आपको धन धान्य की समृद्धि प्राप्त होगी।

आपके धन लाभ के कुछ तरीके अनैतिक हो सकते हैं। आप विदेशियों के माध्यम से भी धनार्जन कर सकते हैं। आपको विभिन्न प्रकार के वाहनों का सुख मिल सकता है। लेकिन आप कुछ हद तक अभिमानी हो सकते हैं। कुछ बेकार के विवाद में पडकर आप अपनी ऊर्जा का व्यय करेंगे। आपको चाहिए कि धोखा और ठगी के माध्यम से धन न कमाएं अन्यथा संतान से सम्बंधित परेशानी रह सकती है।

१२. द्वादश भाव में स्थित का फल :-

यहां स्थित राहू आपको पराक्रमी और यशस्वी बनाता है। आप उदार महत्वाकांक्षी और उच्च आदर्श वाले व्यक्ति हो सकते हैं। आप स्वभाव से मिलनसार हैं। आप अपने परिश्रम के दम पर सुखी रहेंगे। आप एक परोपकारी व्यक्ति हैं। आपके लिए आध्यात्म ज्ञान पाना एक सहज कार्य होगा। आपकी रुचि वेदों और वेदांतों में होगी और आप साधु स्वभाव वाले व्यक्ति हैं।

आपको सार्वजनिक संस्थाओं के माध्यम से लाभ मिल सकता है। यदि आप किसी एक जगह पर भी टिक कर बैठे रहेंगे तो भी आपकी इच्छाओं की पूर्ति होती रहेगी। लेकिन कभी-कभी बडे प्रयास के बाद भी कुछ अनिष्टफल मिलते रहते है और अंत में स्वयमेव शुभफलों में बदल जाते हैं। यहां स्थित राहू आपके शत्रुओं का नाश करता है।

हो सकता है कि आपको प्रारम्भिक आयु में स्थिरता न मिले और आपको आजीविका के लिए बहुत दूर जाना पडे जो कि विदेश भी हो सकता है। क्योंकि यहां स्थित राहू जन्मभूमि से लाभ नहीं दिलवाता। बाहर जाने पर आपका भाग्योदय होगा और आप खूब कमाई करेंगे। हांलाकि आप खर्चे भी खूब करेंगे। विवेकहीनता, छल-कपट, पापपूर्ण विचारों, प्रपंच और नीचकर्म से बचने की सलाह आपको दी जाती है।