भारतीय वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा को बहुत महत्त्व दिया जाता है तथा व्यक्ति के जीवन से लेकर विवाह और फिर मृत्यु तक बहुत से क्षेत्रों के बारे में जानने के लिए कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना आवश्यक माना जाता है। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति के जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में स्थित हों, उसी नक्षत्र को उस व्यक्ति का जन्म नक्षत्र माना जाता है जिसके साथ उसके जीवन के कई महत्त्वपूर्ण तथ्य जुड़े होते हैं जैसे कि व्यक्ति का नाम भी उसके जन्म नक्षत्र के अक्षर के अनुसार ही रखा जाता है।
चन्द्रमा एक शीत और नम ग्रह हैं तथा ज्योतिष की गणनाओं के लिए इन्हें स्त्री ग्रह माना जाता है। चन्द्रमा प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में मुख्य रूप से माता तथा मन के कारक माने जाते हैं और क्योंकि माता तथा मन दोनों ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्त्व रखते हैं, इसलिए कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति कुंडली धारक के लिए अति महत्त्वपूर्ण होती है। माता तथा मन के अतिरिक्त चन्द्रमा रानियों, जन-संपर्क के क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों, परा-शक्तियों के माध्यम से लोगों का उपचार करने वाले व्यक्तियों, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों, होटल व्यवसाय तथा इससे जुड़े व्यक्तियों तथा सुविधा और ऐशवर्य से जुडे ऐसे दूसरे क्षेत्रों तथा व्यक्तियों, सागरों तथा संसार में उपस्थित पानी की छोटी-बड़ी सभी इकाईयों तथा इनके साथ जुड़े व्यवसायों और उन व्यवसायों को करने वाले लोगों के भी कारक होते हैं।
किसी व्यक्ति की कुंडली से उसके चरित्र को देखते समय चन्द्रमा की स्थिति अति महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि चन्द्रमा सीधे तौर से प्रत्येक व्यक्ति के मन तथा भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। चन्द्रमा वृष राशि में स्थित होकर सर्वाधिक बलशाली हो जाते हैं तथा इस राशि में स्थित चन्द्रमा को उच्च का चन्द्रमा कहा जाता है। वृष के अतिरिक्त चन्द्रमा कर्क राशि में स्थित होने से भी बलवान हो जाते हैं जो कि चन्द्रमा की अपनी राशि है। चन्द्रमा के कुंडली में बलशाली होने पर तथा भली प्रकार से स्थित होने पर कुंडली धारक स्वभाव से मृदु, संवेदनशील, भावुक तथा अपने आस-पास के लोगों से स्नेह रखने वाला होता है। ऐसे लोगों को आम तौर पर अपने जीवन में सुख-सुविधाएं प्राप्त करने के लिए अधिक प्रयास नहीं करने पड़ते तथा इन्हें बिना प्रयासों के ही सुख-सुविधाएं ठीक उसी प्रकार प्राप्त होती रहतीं हैं जिस प्रकार किसी राजा की रानी को केवल अपने रानी होने के आधार पर ही संसार के समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हो जाते हैं।
विभिन्न राशियों में स्थित चन्द्रमा ग्रह का फल :- चन्द्रमा के द्वादश राशियों में फल शास्त्रों में निम्नानुसार बताए गए हैं
मेष राशि :- यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा मेष राशि में स्थित हो, तो जातक सक्रिय, चिड़चिड़ापन, अस्थिर मति, यात्रा में रुचि लेने वाला, महत्त्वाकांक्षी,साहसी,आत्माभिमानी,क्रोधी स्वभाव वाला होता हैं।
वृषभ राशि :- यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा वृषभ राशि में स्थित हो, तो जातक कुशाग्र बुद्धि वाला,सुखी, सुगठित शरीर वाला,परलिंगी के प्रति आकर्षण वाला, मध्यावस्था और वृद्धावस्था में सुखी, धनी, संतोषी, चंचल मन वाला,खाने-पीने का शौकीन,लोकप्रिय एवं कामुक होता हैं।
मिथुन राशि :- यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा मिथुन राशि में स्थित हो,तो जातक कुशाग्र बुद्धि वाला, विद्वान, अध्ययनशील, सुंदर, वास्तविक अवस्था से कम आयु का दिखाई देने वाला, अच्छा बोलने वाला, मजाक करने वाला, संगीत में रुचि रखने वाला, बड़ी उम्र वाला एवं अंतर्ज्ञान वाला होता हैं।
कर्क राशि :- यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा कर्क राशि में स्थित हो ,तो जातक स्त्रियों के प्रभाव में आ जाने वाला, अच्छे स्वभाव वाला, चंचल मन वाला, सुंदर, दयालु, क्रोधी स्वभाव वाला, विदेश यात्रा की रुचि रखने वाला, जमीन जायदाद वाला और कुछ झूमती हुई चाल से चलने वाला होता हैं।
सिंह राशि :- यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा सिंह राशि में स्थित हो, तो जातक साहसी,शान दिखाने वाला,परलिंगी द्वारा अपमानित, पेट के रोग वाला, दु:खी, मानसिक रूप से बेचैन ,अभिमानी,महत्त्वाकांक्षी और पुराने विचारों वाला होता हैं।
कन्या राशि :- जन्म कुंडली में चन्द्रमा कन्या राशि में स्थित हो, तो जातक सुंदर रंग वाला, रूपवान, अच्छे आचरण वाला, ईमानदार, सत्य वचन बोलने वाला, कुशाग्र बुद्धि वाला ,अच्छा बोलने वाला, पुत्री संतान या कन्या संतान की अधिकता वाला, ज्योतिषी, संगीत-नृत्य और कला की ओर आकर्षित करने वाला होता हैं।
तुला राशि :- यह दिन जन्म कुंडली में चन्द्रमा तुला राशि में स्थित हो, तो जातक विकलांग, रोगी, संबंधियों से अपमानित ,कुशाग्र बुद्धि वाला, संतुलित मन वाला, चतुर, दक्ष, अच्छे स्वभाव वाला,उच्चाकांक्षाओं से रहित और संतोषी स्वभाव वाला होता हैं।
वृश्चिक राशि :- यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा वृश्चिक राशि में स्थित हो, तो जातक अपने माता-पिता, भाइयों आदि से अलग रहने वाला, झगड़ा करने वाला, स्पष्ट बोलने वाला बुरे विचार रखने वाला, दु:खी, हठी,क्रूर, अनैतिक विचारों वाला और धनवान होता हैं।
धनु राशि :- यह जन्म कुंडली में चन्द्रमा धनु राशि में स्थित हो, तो जातक उच्च बौद्धिक स्तर वाला, सुखी विवाहित जीवन जीने वाला, पैतृक संपत्ति विरासत में पाने वाला, साहित्य के प्रति रुचि का दिखावा करने वाला और लेखक होता हैं।
मकर राशि :- यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा मकर राशि में स्थित हो, तो जातक सदाचारी, पत्नी और संतान से प्रेम करने वाला, बात को शीघ्र जाने वाला एवं समझने वाला,स्वार्थी, आलसी, कंजूस और नीच प्रवृत्ति वाला होता हैं।
कुम्भ राशि :- यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा कुंभ राशि में स्थित हो, तो जातक गोरे रंग का, सुगठित शरीर वाला, लंबा कद वाला, नीति-दक्ष, दूर की सोचने वाला एवं देखने वाला, गुप्त विद्याओं में रुचि रखने वाला, अच्छा अंतर्ज्ञान वाला, धार्मिक प्रवृत्ति वाला और मध्यावस्था में सन्यास के प्रति झुकाव वाला होता हैं।
मीन राशि :- यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा मीन राशि में स्थित हो, तो जातक तरल पदार्थ समुद्र से प्राप्त वस्तुओं, रत्न, शृंगार की वस्तुओं,तेल इत्यादि का व्यापार करने वाला, परलिंगी व्यक्ति के प्रभाव में आने वाला, विद्वान, स्थिर स्वभाव वाला, सादगी पसंद करने वाला, लोकप्रिय,मध्यावस्था के बाद सन्यास और साधना के प्रति रुचि दिखाने वाला और गुप्त विद्याओं के प्रति झुकाव वाला होता हैं।